कतर्नियाघाट वन्य जीवों का रोमांचक संसार
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कतर्नियाघाट अभयारण्य प्राकृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यह अभ्यारण्य करीब 551 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसकी सीमा दुधवा नेशनल पार्क और नेपाल से भी सटी हुयी है। घाघरा नदी की एक जलधारा अभ्यारण्य से होकर गुजरती है इसलिए यहाँ तमाम जलीय स्तनधारी जीव जन्तु भी देखने को मिलते हैं। विशाल जंगल में घड़ियाल बाघ जंगली सांड़ और गैंडे जैसे वन्य जीव भी देखे जा सकते हैं। पर्यटकों को बोटिंग जंगल सफारी और थारू जनजातियों की लोक संस्कृति खूब आकर्षक करती है।
दुर्लभ और विचित्र प्रजाति के वन्य जीवों को देखने की ख्वाहिश रखने वालों के लिए यहां बहुत कुछ है खतरनाक जीवों में घड़ियाल बाघ गैंड़ा जंगली सांड एशियाई हाथी और जंगली बिल्लियों को करीब से देखने का मौका पा सकते हैं। वहीं दुर्लभ किस्म के हिरन बारहसिंहा डाल्फिन बंदर लंगूर खरगोश गुलदार आदि वन्य जीव देखे जा सकते हैं। इस जंगल में लंबी चोंच वाले गिद्ध सारस जैसे तमाम पक्षियों को करीब से देखा जा सकता है।
एडवेंचर पसंद लोगों को यहाँ की सैर एक बार जरूर करनी चाहिए। नदी में बोटिंग जिप्सी में बैठकर जंगल सफारी जैसी गतिविधियां कभी न भूल पाने वाली अनुभव करायेंगी चाहें तो जंगल में हाथी की सवारी भी कर सकते हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी की हसरत भी पूरी कर सकते हैं।
अभ्यारण्य के निकट ही थारू आदि वासियों का गाँव भी स्थित है। सदियों से थारू जनजाति यहां अपनी लोक संस्कृति को संजोये हुये है। अक्सर पर्यटक इन जनजातियों की संस्कृति खान पान और रहन सहन देखने यहां खिंचे चले आते हैं
कतर्नियाघाट की सैर पर आने वाले पर्यटकों के लिए रहने और खाने पीने की अच्छी व्यवस्थायें हैं। यहां पर्यटकों के लिए काटेज और थारू हट्स बनाये गये हैं। काटेज बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से बनाये गये हैं और काफी लग्जरियस हैं।
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