सैर वाराणसी की इन 10 जगहों पर 10 Best Place to Visit in Varanasi
10 Best Place to
Visit in Varanasi
वाराणसी के
84 घाटों में गंगा नदी के किनारे दशाश्वमेध घाट से प्रमुख घाट है। दशाश्वमेध का
अर्थ होता है- दस घोड़ों का बलिदान। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा ने भगवान शिव को
बुलाने के एक बहुत बड़ा यज्ञ किया था जिसमें 10 घोड़ों की बलि दी गयी थी। न् 1929 में यहाँ रानी
पुटिया के मंदिर के नीचे खोदाई में अनेक यज्ञकुंड निकले थे। यहाँ शाम को होने वाली
गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है।इस भव्य आरती की शुरूआत 1991 से हुयी थी। इस भव्य आरती
को देखने देशी विदेशी सैलानी के साथ-साथ बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी देखने आते हैं।
इसलिए आपको यह जगह मिस नहीं करनी चाहिए।
ऐसी
मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट पर जिसके शव को जलाया जाता है, उसे मोक्ष की
प्राप्ति होती है। इसलिए यहाँ आपको ढ़ेर सारी चिताएँ देखने को मिल सकती हैं। कहा
जाता है कि बिष्णु ने शिवजी की तपस्या करते हुए अपने सुदर्शन चक्र से इस जगह पर
मणिकर्णका कुण्ड को खोदा था। इस कुण्ड में पार्वती जी का कर्ण फूल गिर गया था।
जिससे इसका नाम मणिकर्णिका पड़ा।
अस्सी घाट
फिल्म अगर आपने देखी होगी तो जरूर ही आप इस जगह को जानते होंगें। अस्सी घाट वाराणसी
के प्राचीन घाटों में से एक है। इसके पास कई मंदिर ओर अखाड़े हैं | असीघाट के दक्षिण में जगन्नाथ मंदिर है जहाँ प्रतिवर्ष
मेला लगता है | शोधकर्ताओं और संस्कृत सीखने वाले
लोगो के लिए अस्सी घाट एक पसंदीदा जगह है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इजराइल के
अधिकतर सैनिक जब रिटायर हो जाते हैं तो वे अस्सी घाट घूमने आते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर
का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के
दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस
मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ हैं। यहिपर सन्त
एकनाथजीने वारकरी सम्प्रदायका महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पुरा किया और
काशिनरेश तथा विद्वतजनोद्वारा उस ग्रन्थ कि हाथी पर से शोभायात्रा खुब धुमधामसे
निकाली गयी।महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा
ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है।
तुलसी मानस मन्दिर काशी के आधुनिक मंदिरों में एक बहुत
ही मनोरम मन्दिर है। यह मन्दिर वाराणसी कैन्ट से लगभग पाँच कि॰ मि॰ दुर्गा मन्दिर
के समीप में है। इस मन्दिर को सेठ रतन लाल सुरेका ने बनवाया था। पूरी तरह संगमरमर
से बने इस मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम सर्वपल्ली
राधाकृष्णन द्वारा 1964 ई. में किया गया।
इस मन्दिर के मध्य मे श्री राम, माता जानकी, लक्ष्मणजी एवं हनुमानजी विराजमान है। इनके एक ओर माता
अन्नपूर्णा एवं शिवजी तथा दूसरी तरफ सत्यनारायणजी का मन्दिर है। इस मन्दिर के
सम्पूर्ण दीवार पर रामचरितमानस लिखा गया है। इसके दूसरी मंजिल पर संत तुलसी दास जी
विराजमान है, साथ ही इसी मंजिल पर
स्वचालित श्री राम एवं कृष्ण लीला होती है।
भारत माता मन्दिर महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ
(वाराणसी) के प्रांगण में है। इसका निर्माण डाक्टर शिवप्रसाद गुप्त ने कराया और
उदघाटन सन 1936 में गांधीजी द्वारा किया गया। इस मन्दिर में किसी देवी-देवता का
कोई चित्र या प्रतिमा नहीं है बल्कि संगमरमर पर उकेरी गई अविभाजित भारत का
त्रिआयामी भौगोलिक मानचित्र है। इस मानचित्र में पर्वत, पठार, नदियाँ और सागर सभी को
बखुबी दर्शाया गया है।
संकट मोचन का अर्थ है परेशानियों अथवा दुखों को हरने
वाला। इस मंदिर की रचना बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापक श्री मदन मोहन
मालवीय जी द्वारा १९०० ई० में हुई थी। यहाँ हनुमान जयंती बड़े धूमधाम से मनायी
जाती है, इस दौरान एक विशेष
शोभा यात्रा निकाली जाती है जो दुर्गाकुंड से सटे ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर से लेकर
संकट मोचन तक चलायी जाती है। भगवान हनुमान को प्रसाद के रूप में शुद्ध घी के बेसन
के लड्डू चढ़ाये जाते हैं। भगवान हनुमान के गले में गेंदे के फूलों की माला
सुशोभित रहती हैं।
धामेक स्तूप एक वृहत स्तूप है और सारनाथ में स्थित है।
ये वाराणसी से १३ कि॰मी॰ दूर है।[1] धामेक स्तूप का निर्माण ५०० ईसवी में[2] मौर्य
साम्राज्य के सम्राट अशोक द्वारा २४९ ई.पू. में बनवाये गए एक पूर्व स्तूप के स्थान
पर किया गया था। यह सारनाथ की सबसे आकर्षक संरचना है। सिलेन्डर के आकार के इस
स्तूप का आधार व्यास 28 मीटर है जबकि इसकी ऊंचाई 43.6 मीटर है। धमेक स्तूप को बनवाने
में ईट और रोड़ी और पत्थरों को बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया गया है। स्तूप के
निचले तल में शानदार फूलों की नक्कासी की गई है।
मान मंदिर घाट वाराणसी में स्थित एक गंगा घाट है। इस घाट
को जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने १७७० में बनवाया था। इसमें नक्काशी अरजा
लीदार अलंकृत झरोखे बने हैं। इसके साथ ही उन्होंने वाराणसी में यंत्र मंत्र
वेधशाला भी बनवायी थी जो दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा के संग पांचवीं
खगोलशास्त्रीय वेधशाला है। इस घाट के उत्तरी ओर एक सुंदर बाल्कनी है, जो सोमेश्वर लिंग को अर्घ्य देने के लिये बनवायी गई थी।
10. रामनगर किला (Ramnagar Fort) -
रामनगर का किला वाराणसी के रामनगर में स्थित है। यह गंगा
नदी के पूर्वी तट पर तुलसी घाट के सामने स्थित है। इसका निर्माण १७५० में काशी नरेश
बलवन्त सिंह ने कराया था। यह मक्खन के रंग वाले चुनार के बालूपत्थर ने बना है।
वर्तमान समय में यह किला अच्छी स्थिति में नहीं है। यह दुर्ग तथा इसका संग्रहालय
बनारस के इतिहास का खजाना है। आरम्भ से ही यह दुर्ग काशी नरेश का निवास रहा है।
वाराणसी की और जगहों के बारे में अगले पोस्ट में और भी
बातें करेंगें।
Interesting Article. Hoping that you will continue posting an article having a useful information. Places to Visit in Varanasi
ReplyDelete